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Jaggannath Rath Yatra 2025-Rajutiya ke Mahatv जगन्नाथ पुरी के रथयात्रा रहस्य जाने जानकारी

  Jaggannath rath yatra:-   रजुतिया परब ह अषाढ महीना के अंजोरी पाख के दूज के दिन होथे। ए दिन भगवान जगन्नाथ, सोहदरा आऊ बलभद्र ल रथ म बैठार के किंजारे के रिवाज हे। अईसे तो ए परब ल हमर देस के जम्मो ओन्हा कोन्हा म मनाए के रिवाज हे। फेर ओडिसा के जगन्नाथनपुरी  म अल गेच ढंग ले उछाह मंगल के संग बिसेस ढंग ले तईहा जुग ले मनावत आवत हे। काबर के ए परब मनाये के सुरुवात जगन्नाथपुरी ले होए रहीच। ईही दिन भगवान जगन्नाथ ह अपन ससुरार जनकपुर गे  रहिसे तब ले आज तक एला मनावत आवत हे।।

हमर देस म चार धाम के चार तीरथ म  एक धाम जगननाथ पुरी आय। भारतीय मंदिर सिरजन कला के सिरोमनी चिन्हा आज। लोगनमन के आईस मानना हे कि ए मंदिर ल भगवान बिसकर्म अपन हाथ म खुधे बनाए हे । ईहा के रथ यात्रा ह दुनियाभर म परसिद्ध हे ।

एहा अईस तिरथ ए जीहा जात कुजात भले कुभले जम्मो जातरी न एके जघा बईठ के जगन्न्न्थ के अइटका आऊ खिचरी के भोजन परसाद पाथे। भोग लगाए उपर ले बचे खिचरि ला महाप्रसाद कईथे। इही महाप्रसाद के मितान घलो बदथे। मंदिर के देवता के मुरती ल रथ यात्रा के बेरा म कोनो मनखे रथ ल झीक सकथे । ए दिन मुरती ल साल म एक बेर बाहिर निकाल के सहर भर किंजार्थे ।।
सिरी जगन्नाथ के रथ पंदरा हाथ ऊंच, बाईस हाथ लाम आऊ वोतके चाकर रथे । एमा चार हाथ के गोलाई चाऊक चाकर वाले सोलाथन चक्का लगे रईथे । बलदाऊ के रथ ऐकर ले एक फुट छोटे बारा चक्का वाले आऊ सोहदरा के रथ बलराम के रथ ले ऐक फुट छोटे आऊ एकरो रथ ह बारा चक्का वाले रथे हर बछर नवा रथ बनाए जाथे।  #रथयात्रा
जगन्नाथ भगवान , सोहदरा आऊ बलराम ए तीनों झन ल मंदिर के सींग मुहाटी ले रथ म बैठार के जनकपुर डहर झीकत लेगथे । रथ के झिकाइय मनखेमन चार हजार दू सौ अकन रईथे। जनकपुर म तीन दिन ढार परथे आऊ लक्ष्मी संग मिल भेंट के फेर मंदिर लहूट के आ जाथे रजुतिया के दिन ल सुभ दिन माने जाथे। ए दिन किसानमन धान बावत के घलो मुहरत करथे, आघू के दिन म बिहाव पठोनी होए के बाद दुसराइया लीहे बर घलो जाए। नावा कुआ , बाउली तरिया आऊ नवा घर के पचिस्था घलो रजुतिया के दिन सूभ माने जाथे।।#रथयात्रा 

छत्तीसगढ़ी कविता 

 हाथ जोर नवावव माथ ।
जय जय , परभु जगन नाथ ।
 अषाढ़ , अंजोरी दूज तिथि वार। 
बादर बरसावन अमरीत फुहार।।
मंदिर म लोगनमन  सकलाए हे।
बहिनी सोहद्रा , भईया कन्हईहा ।
भाई बलभद्र, दुख के हरइया।
चक्र सुदर्शन मंगल वारी। 
दरसन , सुग्घर महिमा भारी।
गंजागू के पावन परसाद।
जय जय , परभू जगन नाथ।।।
 
लेखक:- संजय पटेल।। छत्तीसगढ़ राज्य… 
ALL Credit – msataiyari 

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